Earth to the Moon: भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO द्वारा 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान 3 की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की गयी है। यह मिशन चन्द्रमा के पिछले मिशनों का ही अगला कदम है। चंद्रयान 2 की असफल लैंडिंग के बाद इसरो द्वारा चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए चंद्रयान 3 को लांच किया गया है। यह चंद्रयान 2 का फॉलो ऑन मिशन है, जिसमे चन्द्रमा की सतह पर लैडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराई जाएगी। चंद्रयान 3 को LVM3 M-4 रॉकेट के माध्यम से 14 जुलाई को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्री हरीकोटा से लांच किया गया था।
चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग तो सफलतापूर्वक हो गयी थी लेकिन विक्रम लैंडर को चाँद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराते समय लैंडर का सम्पर्क ऑर्बिटर से टूट गया था। इसी कारण से चंद्रयान 2 का लैंडिंग वाला हिस्सा असफल हो गया था। अब देखना होगा की चंद्रयान 3 सफलतापूर्वक चाँद की सतह पर लैंड होता है या नहीं तब तक हम आपके साथ एक इंटरेस्टिंग बात शेयर करना चाहते है। Why then is Chandryaan 3 taking weeks to reach the moon’s surface?
पृथ्वी से चांद पर जाने में कितना समय लगता है?
चंद्रयान 3 को पृथ्वी से चाँद पर पहुँचने में करीब 45 दिन का समय लगेगा। पृथ्वी से चन्द्रमा की दुरी लगभग 3.84 लाख किलोमीटर है जिसे पृथ्वी से चाँद पर जाने वालों को तय करना होता है। अगर हम सामान्यतः देखे तो दुरी तय करने का कोई एक निश्चित समय नहीं होता है। यह उस बात पर निर्भर करता है, की आप ये दुरी कैसे और किससे तय करने वाले है। अगर भारत की बात करें तो इसरो द्वारा चन्द्रमा पर जाने के लिए लगभग 45 से 48 दिनों का समय लिया जाता है।
चंद्रयान 2 पृथ्वी से चन्द्रमा पर लगभग 48 दिनों में पहुंचा था और यदि चंद्रयान 3 की बात करें तो यह भी लगभग 45 दिनों में चन्द्रमा तक पहुँच जायेगा। अभी तक भारत के अलावा तीन देश ही चाँद की सतह पर पहुँच पाए है जिसमे अमेरिका,रूस और चीन शामिल है। और यदि भारत का चंद्रयान 3 मिशन सफल होता है, तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जायेगा जिसने चाँद की सतह पर लैंडिंग करवाई है।
Chandrayaan 3 कितने दिन में पहुंचा?
चंद्रयान 3 की 14 जुलाई को सफलतम लॉन्चिंग के बाद अब सभी को इसके चाँद पर पहुँचने का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। आपको बता दे कि चंद्रयान 3 लगभग 45 दिनों में चाँद तक पहुँच जायेगा। जबकि अमेरिका का अपोलो 11 मिशन चाँद पर केवल 4 दिनों में ही पहुँच गया था। इस मिशन की कुल समय सीमा 14 पृथ्वी दिवस की है, जो चाँद के 1 लूनर दिन के बराबर होते है। चंद्रयान 3 के लैंडर विक्रम को चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराया जायेगा।
अगर भारत चन्द्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल होता है, तो यह पहला देश होगा जिसने चन्द्रमा के इस स्थान पर लैंडिंग की है।
Earth to the Moon- चन्द्रमा पर पहुँचने में लगने वाला समय
ISRO Chandrayaan 3 Moon Mission की तुलना में हम अमेरिका, रूस और चीन के मिशनों में लगने वाले समय से करेंगे।
भारत के चंद्रयान 3 को चांद पर पहुँचने में लगभग 45 दिन लगेंगे। जबकि अमेरिका को चांद पर पहुँचाने में लगभग 4 दिनों का समय लगता है , और रूस को भी चार दिन का समय चांद पर पहुँचने में लगने लगता है। चीन ने अपने चांद मिशन को 4 दिन 12 घंटे दिन में चांद तक पहुंचा दिया था।
अब इस समय के गणित को हम समझते है
अमेरिका, रूस और चीन भले ही चार दिनों में चांद पर पहुँच जाये लेकिन Chandrayaan 3 की तुलना में इनके मिशन का बजट लगभग 6-7 गुना होता है। अमेरिका एक भारी भरकम राकेट का प्रयोग चांद तक जाने में करता है। नासा का राकेट 40,000 किलोमीटर प्रति घंटा है और इसके वजन उठाने की क्षमता 40 टन है और यह बहुत अधिक ईंधन का प्रयोग करता है। किसी भी मिशन के लिए सबसे ज्यादा खर्चा लांच व्हीक्ल पर ही आता है। चंद्रयान 3 के लॉन्चिंग में ही लगभग 500 करोड़ का खर्चा आया था और यह राकेट अमेरिका के राकेट के मुकाबले काफी कम क्षमता और बजट वाला है।
भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने Chandrayaan 3 को GSLV MK III के माध्यम से लांच किया गया है जिसकी क्षमता 4 टन वजन ले जाने की है। और रॉकेट जितनी अधिक स्पीड से जायेगा उतना ही अधिक ईंधन की खपत करेगा। ISRO ने इसी खर्च को कम करने के लिए पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का प्रयोग किया है। यह पृथ्वी के गुरुत्वकर्षण के माध्यम से चांद तक पहुंचेगा जो की पहले पृथ्वी के चारो ओर चक्कर लगाएगा और उसके बाद कुछ समय चांद की परिक्रमा करेगा। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही विक्रम को चांद पर लैंड करवाया जायेगा।
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