आइए जानें 1976 में कैसे भारतीय प्लेन को हाईजैक किया गया और कैसे उसे पाकिस्तान की मदद से बचाया गया।
10 सितंबर, 1976 को हुआ था एक रोमांचक हाईजैक का इंशाफ, जिसमें दो आतंकी ने भारतीय प्लेन को अपने कब्जे में किया।
प्लेन का हाईजैक: एक गूंथी हुई कहानी
हाईजैक होने के बाद, आतंकी ने प्लेन को लीबिया ले जाने का इरादा किया, लेकिन पायलट ने दिखाई सूझबूझ।
प्लेन का लक्ष्य: लीबिया, लेकिन
पायलट ने प्लेन को पाकिस्तान के लाहौर में लैंड करा दिया, जो आतंकियों के मंसूबों को बिगाड़ दिया।
पायलट की होशियारी: प्लेन को पाकिस्तान में लैंड किया
भारत सरकार ने पाकिस्तान से मदद मांगी और हाईजैक प्लेन को छुड़ाने के लिए उनकी मदद प्राप्त की।
संघर्ष और मदद: पाकिस्तान की भूमिका
पायलट ने प्लेन को पाकिस्तान में सफलतापूर्वक लैंड किया, जहां से आतंकी नाकाम रहे।
प्लेन के लैंडिंग: सफल और सूझबूझ से
आतंकी ने खाने के बाद भारतीय प्लेन में नशीली दवा मिलाई, जिससे वे बेहोश हो गए और प्लेन को छोड़ना हो गया।
आतंकी का धोखा: खाना और पानी
इस हाईजैक के कारण भारतीय सुरक्षा बलों ने 77 लोगों की जान को बचाया।
भारत का अद्वितीय इतिहास: हाईजैक से बचाये गए 77 लोग
इस दस्तावेज़ में चिपका हुआ रहा है कि कैसे हाईजैक होने के बाद आतंकी ने प्लेन को पाकिस्तान तक ले जाने की कोशिश की थी।
हाईजैक की गुप्त बातें: दस्तावेज़ की सवालबाज़ी
आतंकी की नाकाम कोशिश के बाद प्लेन को सफलतापूर्वक छुड़ाने की यह अनोखी कहानी है।
आतंकियों की नाकाम कोशिश: एक अनोखी कहानी
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